बेगुसराय, नवम्बर 2 -- सिमरिया धाम, एक संवाददाता। सनातन का अर्थ होता है शाश्वत या सदा बना रहने वाला अर्थात जिसका ना आदि है और न अंत है उक्त बातें राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया के सिद्धाश्रम में रविवार को ज्ञान मंच से श्रीमद् भागवत कथा के प्रवचन के दौरान स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि इस धर्म की उत्पत्ति सृष्टि के साथ ही हुई है। जब स्वयंभू मनु हुए, सूर्य सिद्धांत के अनुसार सनातन धर्म अर्बन वर्ष पुराना है जिस धर्म में ग्रह नक्षत्र सप्त ऋषि सप्त तीर्थ व प्रकृति का कण-कण समाया हुआ है। वही सनातन है जिसका ज्ञान अनादि काल से श्रुति स्मृतियां वेद पुराण व इतिहास के माध्यम से हमारे बीच उपलब्ध है। चिदात्मन जी ने कहा कि जो शाश्वत है, जो दृढ़ है, स्थिर है, जो निरंतर है, जो आदि अंत रहित है वही सनातन है। वेद परमात्मा का दिया हुआ ज्ञान है...