सीतामढ़ी, अप्रैल 20 -- आचार्य शंभूनाथ शास्त्री के मुताबिक गुरुकुल के ब्रम्हचारियों को वेद, वेदांग, व्याकरण, ज्योतिष, कर्मकांड, श्रीमद्भागवत गीता, पुराण, हितोपदेश, नीति, न्यायशास्त्र आदि विषयों का सांगोपांग अध्ययन कराया जाता है। उन्होंने बताया कि विश्व कल्याण तथा वसुधैव कुटुम्बकम इन ग्रन्थों का मूल भाव है। परोपकार की दृष्टि से इसका अध्ययन कल्याणकारी माना गया है। जीवन के उद्देश्यों को सार्थक बनाने के लिए सभी सनातनियों को इसका अध्ययन करना चाहिए। यह वर्तमान परिवेश में अधिक प्रासंगिक हो गया है।

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