भागलपुर, सितम्बर 14 -- भागलपुर, वरीय संवाददाता। श्रीमद् देवी भागवत पुराण में मां के सम्मान में वर्णित श्लोक 'कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति को वृद्धाश्रम सहारा में रह रही वृद्ध महिलाएं चरितार्थ कर रही हैं। इस श्लोक का अर्थ है कि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं होती। मां का प्रेम और कल्याण की भावना सदैव अपने बच्चों के प्रति बनी रहती है। चाहे वह अपने परिवार से तिरस्कृत होकर वृद्धाश्रम में ही क्यों न रह रही हों। शहर के लोदीपुर रोड स्थित वृद्धाश्रम में रह रही वृद्ध महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु की कामना लेकर जिउतिया व्रत का अनुष्ठान कर रही हैं। बच्चों से मिल रही उपेक्षा के बावजूद इन वृद्ध महिलाओं के मन में कभी भी उनके प्रति गलत भावना नहीं आती है। वृद्धाश्रम के अधीक्षक रंजन कुमार ने बताया कि पांच महिला बुजुर्ग लाभ...
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