वाराणसी, मार्च 29 -- वाराणसी। दशाश्वमेध घाट स्थित प्रचीन श्रीराम मंदिर के महंत वेदांताचार्य हनुमान दास महाराज वीतरागी संत थे। वह वास्तव में गंगा पुत्र थे। दशाश्वमेध घाट पर जीवन पर्यंत रहे। ये बातें निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर और खाक चौक व्यवस्था समिति के मंत्री महंत रामनरेश दास ने कहीं। वह शनिवार को वेदांताचार्य हनुमान दास महाराज की प्रथम पुण्य तिथि पर उनकी मूर्ति के अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। मूर्ति दशाश्वमेध स्थित राम मंदिर में स्थापित की गई है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि महंत हनुमानदास महाराज मां गंगा का जल ही पीते थे। यह उनकी तपस्या का ही हिस्सा था। इस अवसर पर महंत रघुनंदन दास एवं महंत कृष्णा, पं. नरनारायण शास्त्री ने विधि विधान से मूर्ति का पूजन कराया। कार्यक्रम में संतों-महंतो का सम्मान किया गया। साथ ही भंडारे का आयोजन ...