हजारीबाग, मार्च 22 -- बरही, प्रतिनिधि। विश्व वानिकी दिवस पर पलाश के लाल नारंगी फुल खुशबू और सुंदरता बिखेर रहे हैं। मंद मंद हवाओं में जंगलों में फुले पलाश के फूल झूमते इतराते जान पड़ते हैं। पलाश के पेड़ वनों में स्वतः उगने वाले वृक्षों में शामिल है। बरही और आसपास जंगल और सड़कों के किनारे बहुतायत में पलाश के पेड़ पाए जाते हैं। पलाश के पेड़ और फूल पर्यावरण को संरक्षित करने के साथ साथ झारखंड की प्रकृति और संस्कृति के साथ भी जुड़े हैं। वन क्षेत्रों के साथ गांव के आसपास के इलाकों में भी पलाश के फुलों की लालिमा बसंत की प्रतीक जान पड़ती है। वन एवं पर्यावरण को लेकर 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है। इस दिन रात और दिन बराबर होते हैं। मौसम न ठंडा और न गर्म होता है। मानव समेत जीव जंतुओं के लिए मौसम अनुकूल होता है। इस संतुलन को बरकरार रखने म...
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