बागपत, सितम्बर 27 -- इतिहास के सुनहरे पन्ने बागपत के गौरवशाली इतिहास की कहानी बयां करते हैं। रामायण के वाल्मीकि मंदिर, रावण के नाम पर बड़ागांव और महाभारत के लाक्षागृह के चिह्न यहां आज भी मौजूद हैं। वहीं ताम्रयुगीन सभ्यता के प्रमाण सिनोली में मिल चुके हैं। इन महत्वपूर्ण स्थलों की कायाकल्प को कार्य भी शुरू हो चुका है। बरनावा लाक्षागृह: इतिहासकारों के अनुसार दुर्योधन ने पांडवों को खत्म करने की योजना बनाई थी। वारणावर्त (अब बरनावा) में पुरोचन नाम के शिल्पी से ज्वलनशील पदार्थों लाख, मोम आदि से एक भवन तैयार कराया गया था। भवन में आग लगते ही पांडव सुरंग से होकर बाहर सुरक्षित निकल गए थे। यह सुरंग हिडन नदी के किनारे खुलती है। इसके अवशेष आज भी मिलते हैं। गांव के दक्षिण में लगभग 100 फुट ऊंचा और 30 एकड़ भूमि पर फैला हुआ यह टीला लाक्षागृह के अवशेष के रूप ...
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