बागपत, दिसम्बर 2 -- बड़ौत। मामूली-सी असफलता से हताश होने वाले स्वस्थ युवाओं को जनपद के उन दिव्यांग खिलाड़ियों से प्रेरणा लेनी चाहिए जिनके आगे दिव्यांगता पानी भरती है। बागपत के खेकड़ा कस्बे के अंकुर धामा, जिनकी आंखों की रोशनी बचपन में ही चली गई थी, लेकिन हौसलों की उड़ान नहीं थमी। रियो पैरालिंपिक का भी हिस्सा रहेअंकुर धामा दुनिया भर में लगातार कई पैरा चैंपियनशिप में पदक जीतते रहे हैं। वह स्कूलिंग के दौर से ही ऐक्टिव स्पोट्र्समैन रहे। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही पहली बार उन्होंने इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था। उन्होंने 2009 में आयोजित हुए वल्र्ड यूथ ऐंड स्टूडेंट चेम्पियनशिप में दो गोल्ड मेडल जीते थे। 2008 में आयोजित इंडियन ब्लाइंड्स एसोसिएशन नेशनल मीट में उन्होंने 400 और 800 मीटर में गोल्ड जीता था। अंकुर ने क्रमश 1.10 और 2.25 मिनट में ...
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