बागपत, अक्टूबर 16 -- बागपत। एनेस्थीसिया का नाम आते ही दिमाग में बेहोशी के इंजेक्शन का ख्याल आता है, लेकिन अब यह पुरानी बात हो चली है। एनेस्थीसिया अब दवा-ए-दर्द बन चुकी है। किसी भी तरह के क्रोनिक पेन (पुराने दर्द) को चुटकियों में हवा करने के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में हर महीने सैकड़ों मरीजों को इससे राहत मिल रही है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. जीके सिंह ने बताया कि पुराने दर्द से पीड़ित भी आ रहे हैं। एक दिन में औसतन दो से तीन मरीज आते हैं। इस हिसाब से महीने में करीब 55 से 60 मरीजों को राहत मिल रही है। इनमें कमर, घुटने, एढ़ियां, सिर दर्द, अर्थराइटिक पेन, टेनिस एल्बो के दर्द के पीड़ित शामिल हैं। मरीज की स्थिति को देख खुराक निश्चित की जाती हैं। कुछ मामलों में स्टेरायड का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन खुराक ...