जमशेदपुर, अगस्त 13 -- जमशेदपुर, प्रतीक कुमार उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान कायम करने वाली लौहनगरी की चर्चा अब मानवीयता के उस रंग को लेकर होने लगी है जिससे दूसरे का जीवन रोशन हो रहा है। आपसी समन्वय और सद्भाव का पर्याय बने इस शहर के लोगों ने न सिर्फ नेत्रदान, बल्कि अंगदान में भी अपनी मिसाल कायम की है। नेत्रदान करने वालों की संख्या 158 है। यह आंकड़ा पिछले 31 साल का है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। वैसे जमशेदपुर में हर साल 80 हजार यूनिट रक्तदान होता है और यहां रक्तदाताओं में कई शतकवीर हैं। ऐसे लगा जैसे कि पूरा जहान मिल गया : चांडिल के नीमडीह निवासी 67 वर्षीय कृषक अंबुज कुमार कहते हैं कि सातवीं कक्षा में ही आंख में परेशानी होने लगी। इसी रोग के कारण इंटरमीडिएट पूरा नहीं कर सके। 52 की उम्र में पूरी तरह दिखाई देना बंद हो गया ...
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