अल्मोड़ा, अगस्त 24 -- गाजर घास से फसल उत्पादन के साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से इसकी आक्रामकता में और बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। यह बात वीपीकेएएस में हुई गोष्ठी में वैज्ञानिकों ने की। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से 20वें गाजर घास जागरूकता सप्ताह का आयोजन हुआ। संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत महोदय के मार्गदर्शन में हुए कार्यक्रम में पहले दिन संस्थान के हवालबाग फार्म में डीएसबी कैंपस नैनीताल के छात्र-छात्राओं को कांग्रेस (गाजर) घास के फसल उत्पादन, पशु और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव बताए गए। साथ ही निर्मूल करने संबंधित कार्यक्रम भी चलाया गया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित...