वाराणसी, मार्च 22 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन शुक्रवार को देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने पंचांग और विवाह मेलापक पर मंथन किया। वक्ताओं ने कहा कि विवाह मेलापक में अन्य बातों के साथ स्वभाव, गुण और आयु का विचार भी जरूरी है। दोनों का स्वभाव यदि अच्छा है तो कम गुण मिलने पर भी दांपत्य जीवन सुखी हो सकता है। लालबहादुर शास्‍त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि के डॉ. होमेश पाराशर ने कहा कि मेलापक के विषय में आठ प्रकार के विवाह होते हैं। विवाह धर्मशास्त्रीय व्यवस्था है जिसे कुण्डली मिलाकर ही करने की परंपरा है। विवाह के समय अष्टकूट का विचार जरूरी है। 36 में 16 गुण मिलने पर अधम, 16 से 20 तक मध्यम और 20 से ऊपर गुण मिलना उत्तम माना जाता है। दामोदर बंसल ने ...