हरिद्वार, मई 29 -- जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि विवाह केवल सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है। इसमें समझ, सहनशीलता और समर्पण आवश्यक है। उन्होंने यह बातें देवभूमि विकास संस्थान की ओर से बुधवार की रात आयोजित बैठक में कही। बैठक में समाज में तेजी से बढ़ती तलाक की प्रवृत्ति पर विचार और निवारण के उपाय तलाशने को लेकर चर्चा हुई। स्वामी अवधेशानंद ने प्री-वेडिंग काउंसलिंग की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने चार वर्गों के लिए मार्गदर्शन की बात कही। इनमें पहले विवाह योग्य जोड़ों को शामिल किया गया। कहा कि जिनकी निकट भविष्य में शादी होने जा रही है, उन्हें वैवाहिक जीवन की वास्तविकताओं के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार करना आवश्यक है।

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