नई दिल्ली, दिसम्बर 16 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्त्रीधन, विरासत में मिली संपत्ति या पत्नी को उसके माता-पिता या रिश्तेदारों से मिले तोहफों को आय का स्रोत नहीं माना जा सकता। यह संपत्ति पति से भरण-पोषण के उसके दावे को खारिज नहीं करा सकती। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि भरण-पोषण के दावे का आकलन पत्नी की वर्तमान कमाई की क्षमता और शादी के दौरान जिस जीवन स्तर की उसे आदत थी, उस स्तर पर खुद को बनाए रखने की क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए। न कि उसके मायके के परिवार की वित्तीय स्थिति के आधार पर। पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि कमाने की संभावित या सैद्धांतिक क्षमता वास्तविक वित्तीय स्वतंत्रता की जगह नहीं ले सकती। इसमें यह भी कहा गया कि एक स्वस्थ पति को अपने आश्रितों का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त कमाने में सक्षम माना जात...