नई दिल्ली, मई 17 -- कई बार जीवन हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है, जहां से आगे अंधकार ही अंधकार नजर आता है। जब पटना के बड़े डॉक्टरों ने कह दिया कि 95 प्रतिशत ब्लॉकेज है और अब कुछ नहीं हो सकता, तब एक बेटे ने अपनी मां के लिए जो किया, वह किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं। बात करीब 25 साल पुरानी है, जब डॉ. राम कुमार की माताजी गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थीं। तमाम बड़े अस्पतालों में इलाज के बाद जब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, तब उनके पिता ने होम्योपैथी की ओर रुख किया। यही वह मोड़ था जिसने डॉ. राम कुमार को होम्योपैथी की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया ओर डॉ. राम कुमार ने बी.आर.ए.बी.यू. से बी.एच.एम.एस. की डिग्री प्राप्त की और फिर एम.डी. (होम्योपैथिक) किया। वे अपने विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट रहे। शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने आर.बी.टी.एस. होम्योपैथिक...