नई दिल्ली, सितम्बर 11 -- कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 9 की समीक्षा और संशोधन करने की सिफारिश की है। यह अधिनियम न्यायाधिकरणों को बुजुर्गों के लिए प्रति माह 10,000 रुपये से अधिक की राशि भरण-पोषण के तौर पर देने का आदेश देने से रोकता है। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि भरण-पोषण के लिए यह राशि आज की महंगाई के अनुरूप नहीं है। जज ने कहा कि यह अदालत गंभीरतापूर्वक यह सिफारिश करती है कि केंद्र धारा 9 पर पुनर्विचार करे और जीवन-यापन सूचकांक की लागत के अनुरूप अधिकतम सीमा को संशोधित करे। वर्ष 2007 से जीवन-यापन की लागत में भारी वृद्धि की ओर इशारा करते हुए अदालत ने सरकार के मुद्रास्फीति सूचकांक का हवाला दिया। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि ज...