जमुई, सितम्बर 1 -- झाझा, निज संवाददाता पहले, खलासी मोहल्ला के समीप गहरे गड्ढों एवं लगभग बारहों मास पानी से लबालब मिलने वाला रेल पुलिया का अंडरपास.....और फिर उबड़-खाबड़ भरा ऊंचा-नीचा कच्चा रास्ता। कल्पना करें कि कुछ ऐसे ही हाल वाले पथ से रोजमर्रा तौर पर आवाजाही करने को मजबूर करीब ढ़ाई हजार छात्र-छात्राएं एवं विभिन्न गांवों के ग्रामीणों का क्या हाल होता होगा। शायद कहीं न कहीं शायद उक्त उक्ति सरीखा कि 'एक आग का दरिया है और तैर कर जाना है। हम बात कर रहे हैं झाझा प्रखंड की ग्रामीण पंचायतों को कनेक्टिीविटी देने वाले यक्षराज स्थान-ताराकुरा पथ की। किसी से छिपा नहीं है कि उक्त पथ व्यापक बदहाली का शिकार है और हाल-फिलहाल से नहीं अपितु दशकों से ऐसे ही हाल को आत्मसात करता आया है। बताया जाता है कि उक्त पथ के मामले में वन भूमि का पेंच फंसा होने से ही उक्त ...