नई दिल्ली, दिसम्बर 19 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। शीर्ष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बगैर जंगल की जमीन को न तो लीज पर आवंटित किया जा सकता है, न ही खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि वन भूमि पर खेती की इजाजत देने का मतलब होगा जंगल को खत्म करना जो कि कानून के खिलाफ है। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की है, जिसमें एक सहकारी समिति को एक रिप्रेजेंटेशन के जरिए जंगल की जमीन पर लीज जारी रखने की अनुमति दे दी गई थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 की धारा 2 के तहत केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर जंगल की जमीन को लीज पर नहीं दिया जा सकता या खेती के मकसद से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पी...
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