नई दिल्ली, दिसम्बर 1 -- राजीव पांडेय, स्थानीय संपादक, देहरादून, हिन्दुस्तान उत्तराखंड के जंगलों और पहाड़ों में बदलती परिस्थितियों ने इंसानों और वन्यजीवों, दोनों की जिंदगी को संकट में डाल दिया है। बादल फटने, बाढ़ और भू-स्खलन जैसी कुदरती आपदाओं के घाव अभी भरे भी नहीं थे कि गुलदार, बाघ और भालू जैसे जानवरों ने पहाड़ के लोगों का चैन-सुकून छीन लिया है। बंदर और जंगली सूअरों के आतंक से पहले ही खेती-बाड़ी उजड़ चुकी थी, अब हालात यह हैं कि कस्बों और शहरों में बस चुके लोग जंगली जानवरों के निशाने पर आ गए हैं। वन विभाग ने करीब 500 गांवों को मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से संवेदनशील घोषित किया है। बीते 25 वर्षों के आंकड़े इस भयावह स्थिति के साक्षी हैं। उत्तराखंड में गुलदार लंबे समय से मानव-वन्यजीव संघर्ष का सबसे बड़ा कारण रहा, मगर अब बाघ व भालू भी तेजी ...