आजमगढ़, दिसम्बर 20 -- आजमगढ़, संवाददाता। समाज कल्याण विभाग की तरफ से संचालित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में पारदर्शिता लाने और फर्जीवाड़ा रोकने के लिए विभागीय अधिकारी अब सख्ती से जांच करेंगे। पात्रता की जांच वधू के मायके से लेकर ससुराल तक की जाएगी। शासन से निर्देश दिए गए हैं कि लाभार्थियों का सत्यापन पूरी तरह बायोमैट्रिक माध्यम से किया जाए, जिससे किसी प्रकार की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत सरकार की ओर से प्रत्येक जोड़े पर लगभग एक लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। इसमें साठ हजार रुपये वधू के खाते में भेजे जाते हैं। वहीं, 25 हजार रुपये सामान और 15 हजार रुपये अन्य खर्च के लिए दिए जाते हैं। सामूहिक विवाह में फर्जी तरीके से शामिल होने की शिकायतों के बाद शासन ने अब सभी स्तरों पर जांच को अनिवार्य कर दिया है। वर...