लखनऊ, मार्च 17 -- वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर देशभर के मुस्लिम समुदाय में गहरी चिंता है, लेकिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसी बड़ी संस्था की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने जारी बयान में सवाल उठाया है। कहा कि जमीयत जैसी पुरानी और मजबूत संस्था को केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहना चाहिए था, बल्कि इसे जमीन पर उतरकर संघर्ष करना चाहिए था। अनीस मंसूरी ने जारी बयान में कहा कि जब सरकार पूरी ताकत के साथ वक्फ संशोधन विधेयक को पारित करने में लगी थी, तब मुस्लिम नेतृत्व केवल खानापूर्ति कर रहा था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब जमीयत रामलीला मैदान में बड़ी रैलियां कर सकती है तो वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए कोई ठोस विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं किया गया?मौलाना महमूद मदनी और मौलाना अरशद मदनी को एक होना चा...