लोहरदगा, जून 5 -- लोहरदगा, दीपक मुखर्जी। वन से वायु -वायु से आयु, यह उक्ति आज भी प्रासंगिक, सत्य और सत्य के साथ है। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का कुपरिणाम गांव- चौपाल से लेकर ग्लोबल स्तर पर देखा जा रहा है। झारखंड को कभी वन प्रदेश के रूप में जाना जाता था आज के परिपेक्ष में यहां भी गंभीर प्रदूषण देखने को मिल रहा है। वन और वन्य जीव- जंतुओं का क्षरण हो रहा है। इनके अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। दुर्लभ- औषधियां ,उजड़ते वन के साथ यह खत्म हो रहा है। कई नदियों का पानी विषाक्त हो गया है। कई जलाशयों के अस्तित्व खत्म हो गए हैं। मिट्टी की उत्पादकता काम हो रही है। मिट्टी में पानी के सोखने की क्षमता कम हो रही है। बेवजह पानी बह जा रहा है। इसलिए नारा दिया गया था,कि खेत का पानी खेत में ही रहे, पर बे हिसाब रासायनिक खाद के उपयोग की वजह से प्रतिकूल असर कृ...