नई दिल्ली, सितम्बर 22 -- कहते हैं कि अपने दिल की सुननी चाहिए। दुनिया क्या कहेगी, चार लोग क्या कहेंगे...उसके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। लेकिन ये कहावत सकारात्मक संदर्भ में है। अक्सर किसी हिचक, परंपरा या रुढ़ियों को तोड़ने के संदर्भ में कही जाती है। किसी साहसिक कदम के बारे में कही जाती है। अपने दिल की करिए भले ही वो गलत हो। भले ही वो सभ्य समाज के लायक न हो तो ये 'चार लोग क्या कहेंगे' वाला मामला नहीं होता। एक तो गलती करो और ऊपर से उसका बचाव तो इसे साहसिक नहीं, बेशर्मी कहते हैं। गुनाह करने और उस पर टिके रहने को दुस्साहस कहते हैं। पाकिस्तानी क्रिकेटर साहिबजादा फरहान ने ऐसी ही निर्लज्जता दिखाई है। पहले क्रिकेट के मैदान में बल्ले को AK-47 के अंदाज में थामकर 'आतंकी सोच' का प्रदर्शन किया, फिर बेशर्मी में उसका बचाव भी किया। भारत से सुपर 4 में पिटन...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.