भागलपुर, मार्च 8 -- भागलपुर हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। माह-ए-रमजान के पहले जुमे की नमाज के बाद खानकाह आलिया शाहबाजिया मुल्लाचक के सज्जादानशीं हजरत सैय्यद शाह मो. इन्तेखाब आलम शहबाजी ने बताया कि रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा (रहमत) जो अल्लाह की विशेष कृपा और दया का समय है। दूसरा अशरा (मगफिरत) गुनाहों से माफी मांगने और तौबा करने का अवसर। तीसरा अशरा (निजात) जहन्नुम से छुटकारे का समय। उन्होंने रोजेदारों से नेक राह पर चलने और इंसानियत की भलाई के लिए काम करने की अपील की। उन्होंने बताया कि रमजान के महीने में की गई इबादत का 70 प्रतिशत अधिक सवाब मिलता है। रोजेदारों को नेकी के लिए अपने हाथ उठाने चाहिए, न कि किसी गुनाह के लिए।
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