देहरादून, मार्च 22 -- दून विश्वविद्यालय में शनिवार को आयोजित डिफेंस लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन सशस्त्र बलों के दिग्गजों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमांत गांवों की स्थिति, डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव और सेना में आध्यात्म जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा की। पहले दिन हुए विभिन्न सत्रों में पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ कई अन्य लेखकों द्वारा सेना पर लिखी गई किताबों पर चर्चा की गई। थ्राइव संस्था द्वारा आयोजित पहले लिटरेचर फेस्टीवल शौर्य सागा पहले सत्र में मेजर(रिटा.) मानिक एम जौली ने अपनी किताब 'कुपवाड़ा कोड्स' का जिक्र करते हुए कहा कि सैन्य ऑपरेशनों की कहानियां लोगों के बीच आनी जरूरी है। सामान्य लोगों को पता नहीं होता कि, किसी एक ऑपरेशन के लिए कितनी लंबी तैयारी और रणनीति लगती है। लेफ्टिनेंट जरनल (रिटा.) एके सिंह ने अपनी किताब 'बियांड द बैटलफील्ड...