अररिया, दिसम्बर 2 -- फारबिसगंज, निज संवाददाता। सवा सौ साल पुराना ब्रिटिश कालीन फारबिसगंज का ऐतिहासिक काली मेला अब लोगों की आंखों से ओझल हो चुका है। अमर कथाकार फणीश्वर नाथ 'रेणु' ने अपनी कई कृतियों में जिसकी झलक दिखाई, वही मेला अब बीते दिनों की याद बनकर रह गया है। पिछले एक दशक से अधिक समय से न लगने वाले इस मेले को लेकर लोगों की पीड़ा और भी गहरी हो गई है-क्योंकि धर्मेंद्र की अधूरी फिल्म 'डॉग्डर बाबू', जिसे रेणु की कहानियों पर बनाया जाना था, उसी काली मेले के दृश्यों को समेटने वाली थी। मगर न फिल्म बन सकी, न मेला ही बच पाया। और अब दिसंबर में मेला लगने से ठीक पहले ही-मैन धर्मेंद्र के निधन ने लोगों की भावनाओं को और ज्यादा झकझोर दिया है। जानकर बताते हैं कि सवा सौ साल का इतिहास, जहां आस्था, व्यापार और उत्सव साथ-साथ चलते थे। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू...