लखनऊ, दिसम्बर 28 -- लोक संस्कृति शोध संस्थान की ओर से 81वीं लोक चौपाल में कलाविद् प्रो. सुखवीर सिंघल को याद किया गया तथा उनकी कृतियों में लोकबोध और शास्त्रीय दृष्टि के समन्वय पर चर्चा हुई। रविवार को सुखवीर सिंघल आर्ट गैलरी, कैसरबाग में कला और लोक परंपरा के आपसी संबंधों पर सारगर्भित विमर्श हुआ वहीं पारम्परिक गीतों की सजीव प्रस्तुतियों ने चौपाल को सांस्कृतिक ऊष्मा से भर दिया। अध्यक्षता चौपाल चौधरी विमल पन्त एवं डॉ. रामबहादुर मिश्र ने की। चर्चा का केंद्र कला क्षेत्र में प्रो. सुखवीर सिंघल का लोक प्रदेय रहा जिसमें वक्ताओं ने कहा कि प्रो. सिंघल भारतीय आधुनिक कला के ऐसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रहे हैं जिनकी रचनात्मक दृष्टि में लोक संवेदना का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। उनकी कला और विचारधारा आज भी नई पीढ़ी को सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने का कार्य कर र...