नई दिल्ली, दिसम्बर 2 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि लोक अभियोजक (सरकारी वकील) अदालत का एक अधिकारी होता है, जिसका कर्तव्य न्याय के हित में काम करना है, न कि सिर्फ आरोपी को सजा दिलाना। शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि लोक अभियोजक आरोपी को सजा दिलाने के मकसद से न्याय के हित में अदालत के प्रति अपनी कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकता है। जस्टिस संजय करोल और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हत्या के मामले में 3 आरोपियों को दोषी ठहराकर दी गई सजा को रद्द करते हुए यह फैसला दिया है। पीठ ने लोक अभियोजक के बर्ताव पर चिंता भी जाहिर की और कहा कि उनसे उम्मीद की जाती है कि वे आजादी से काम करें, न कि हर बार सिर्फ बचाव पक्ष के वकील की तरह काम करें ताकि हर कीमत पर आरोपी को सजा मिल सके। शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के स...