नई दिल्ली, सितम्बर 12 -- अमरेंद्र कुमार फारबिसगंज। नेपाल के लोकतांत्रिक संघर्ष का सबसे साहसी और रोमांचक अध्याय फिर से जीवंत हो उठा है। 52 साल पहले जिस व्यक्ति ने प्राणों की बाजी लगाकर नेपाल में लोकतंत्र की अलख जगाई थी, आज उनकी पत्नी सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनी हैं। इसे केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि लोकतंत्र की उस जिद, उस जुनून और उस बलिदान की जीत माना जा रहा है, जिसने 1973 में पूरे नेपाल को हिलाकर रख दिया था। 10 जून 1973 का वह दिन आज भी फारबिसगंज की मिट्टी में गूंजता है। नेपाल एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या डीएस-6 विराटनगर से काठमांडू जा रही थी। विमान में 19 सीट थीं। जिसमें तीन क्रांतिकारी बसंत भट्ट राय, दुर्गा प्रसाद सुबेदी और नागेंद्र प्रसाद डंगोल भी सवार थे। हाथ में हैंड ग्रेनेड और दिल में लोकतंत्र का सपना लिए इन युवाओं ने विमान...
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