मेरठ, अप्रैल 12 -- हमारे धार्मिक अनुष्ठानों में लोकगीत भी शामिल हैं। लोकगीत, विशेषकर उर्दू में, कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किये जाते हैं। हम जिन क्षेत्रों में रहते हैं, वहां के वातावरण और गतिविधियों को फिल्म उद्योग में चित्रित किया जा रहा है। शकील बदायूंनी, साहिर और आनंद बख्शी सहित अन्य ने फिल्मों में लोकगीतों को कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। सीसीएसयू कैंपस के उर्दू विभाग में उर्दू लोकगीत: महत्व और उपयोगिता विषय पर हुई गोष्ठी में यह बात एएमयू के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.सगीर अफ्राहीम ने कही। अंतर्राष्ट्रीय यंग उर्दू स्कालर्स एसोसिएशन द्वारा हुए कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। डॉ.इरशाद स्यानवी ने कहा कि उर्दू लोकगीत हमारे साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उर्दू लोकगीत भारत की साझी सभ्यता और प्राचीन परंपराओं को प्रतिबिंबित करते हैं। प...