फतेहपुर, दिसम्बर 20 -- फतेहपुर। बुआई कटाई से लेकर त्योहार उत्सवों में लोकगीत से गूंजते खेत गांव गुजरे जमाने की बात है। विरासत को बचाने के लिए संजीवनी बनकर उभरी वाद्ययंत्र योजना को पंचायते धरातल पर नहीं उतार पाई। दफ्तरों या कमरों में कैद यंत्र धूल फांक रहे है, यंत्रो से ग्रामीण अनिभिज्ञ है। इसी से गांवों में लोकगीतों की धुने विलुप्त होती जा रही है। दोआबा के गांवों में धार्मिक अनुष्ठानों, उत्सवों, मनोरंजन, दैनिक जीवन के कार्यो बुआई कटाई के दौरान वाद्य यंत्रों के साथ रसोई के बर्तन तक भूमिका निभाते थे। गुजरे जमाने में गांव, खेत खलिहान लोक और देवगीत गूंजते थे लेकिन मोबाइल और रील के समय से प्रथा विलुप्त होती जा रही है। सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक निदेशालय द्वारा वित्तीय वर्ष में 13 ब्लॉक की 13 पंचायतों को वाद्ययंत्र बा...