औरंगाबाद, मई 16 -- कुटुंबा प्रखंड में गन्ने की खेती अब लुप्त होती जा रही है। एक समय इस क्षेत्र के विशाल भूभाग में गन्ने की लहलहाती फसलें इसकी समृद्धि का प्रतीक थीं। स्थानीय गुड़ से तैयार होने वाला झरुआ लड्डू न केवल मिठाई, बल्कि कुटुंबा की सांस्कृतिक पहचान भी रहा है। गन्ने के उत्पादन में कमी ने झरुआ की गुणवत्ता को प्रभावित किया है और यह पारंपरिक मिठास अब संकट में है। अब मेरठ से आने वाले गुड़ का प्रयोग लोग करते हैं। स्थानीय क्षेत्र में बने गुड़ अब बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। बाजार की कमी के साथ क्यारियों में जलजमाव, मजदूरों की कमी, मजदूरी की उच्च दर आदि कारणों ने गन्ने की खेती को जोखिम भरा बना दिया है। जिले के कई प्रखंडों में बारिश के दौरान जलजमाव की समस्या आम है। खेतों में पानी भर जाता है, जिससे गन्ने की जड़ें सड़ने लगती हैं। किसान बताते हैं क...
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