कौशाम्बी, अक्टूबर 28 -- नेवादा ब्लॉक के बैरगांव में हो रही सात दिवसीय भागवत कथा के छठे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, पूतना वध, रासलीला गोवर्धन धारण, चीरहरण व कंश वध का वर्णन किया गया। कथावाचक पंडित उमादत्त ओझा ने कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। उन्होंने भक्तों को बताया कि अभिमान व सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। जिसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया। भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृ...