सहारनपुर, अक्टूबर 2 -- नगर के मोहल्ला दीवान में आयोजित महफिल-ए-मुशायरा में शायरों ने खूबसूरत कलाम पेश कर देर रात तक श्रोताओं से दाद-ओ-तहसीन हासिल की। नात-ए-पाक से मुशायरा का शुभारंभ किया गया। मुंबई से आए शायर ताबिश रामपुरी ने पढ़ा कि 'हमारी दोस्ती की लोग ताबिश कदर करते हैं, लिहाज़ा दुश्मनी का शहर में चर्चा नहीं करना। हकीम जुनैद कोठारी असगर ने पढ़ा कि भ्'जिंदगी दर तो कभी दार लगे है मुझको, शाखे गुल ऐसी कि तलवार लगे है मुझको। अब्दुल्लाह राही ने कुछ यूं कहा 'मेरे सलाम पर दुश्मन का मुस्कुरा देना, मुझे यकीन है पत्थर पिंघलने वाला है। जकी अंजुम सिद्दीकी ने पढ़ा कि 'हम तो तुम्हारी बज़्म में कपड़े पहन के आ गए, कुछ लोग इतने तेज़ हैं चेहरे पहन के आ गए। काविश समर ने पढ़ा कि 'दिन भर का थका हारा हुआ एक परिंदा, हर शाख पे चाहत की थकन छोड़ रहा है। इनके अलावा शमी...
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