देहरादून, फरवरी 28 -- लिव-इन रिलेशनशिप को बेशक सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है लेकिन वे आज के समय में काफी तेजी से कॉमन (आम) होते जा रहे हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) इस बदलाव को संबोधित करने के साथ-साथ महिलाओं और इस तरह के रिश्तों से पैदा हुए बच्चों के अधिकारों की रक्षा करती है। जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और जस्टिस आशीष नैथानी की खंडपीठ ने राज्य की समान नागरिक संहिता, खासतौर से लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने वाले नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ताओं- जिसमें एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक दंपति शामिल थे उनका प्रतिनिधित्व करते हुए वकील वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया कि यूसीसी और इसके नियम राज्य की अत्यधिक निगरानी और व्यक्त...