नई दिल्ली, फरवरी 13 -- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि निजता के हनन की आड़ में किसी व्यक्ति के आत्मसम्मान की बलि नहीं दी जा सकती, खासतौर से तब जब वह लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान जन्मा बच्चा हो। कोर्ट ने पूछा कि ऐसे रिश्तों को रेगुलेट (विनियमित) करने में क्या गलत है। चीफ जस्टिस जी नरेंद्र की पीठ उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम, 2024 के प्रावधानों खासकर लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित, को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अलमासुद्दीन सिद्दीकी ने वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता के जरिए दायर याचिका में संहिता में मेंशन निषिद्ध रिश्तों की सूची को भी चुनौती दी है और कहा गया है कि यह न केवल याचिकाकर्ताओं के विवाह करने के धार्मिक अधिकार में बाधा डालता है बल्कि ऐसी शादी को अमान्य घोषित करता है और इसे आपराधिक बनाता है। उत्तराखंड ...