मुजफ्फर नगर, अगस्त 19 -- मुजफ्फरनगर। अपने व परिवार के लिए दो जून की रोटी कामने में हर व्यक्ति भागदौड़ कर रहा है, लेकिन इन्हीं लोगों में ऐसी मानवता भी छिपी है, जो अपने परिवार की जिम्मेदारी के साथ उन लोगों के बारे में भी सोचते हैं, जिनके अपनों ने उन्हें बेघर कर दिया। मुजफ्फरनगर मे मानवता की बड़ी मिशाल शालू सैनी है, जो महिला होने के बाद भी शमशान घाट में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती है। इसक अलावा महेश बाटला और अमित पटपटिया भी लोगों की जान बचाने के लिए अंगदान और भोजन के माध्यम से लोगों में उम्मीद की किरण जगा रहे हैं। - पांच हजार शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी शालू सैनी शहर के रामलीला टिल्ली निवासी शालू सैनी कोरोना काल से लावारिस शवों का शमशान घाट में जाकर अंतिम संस्कार स्वंय करती है। इसके बाद उनकी अस्थियों का भी विर्सजन करती है। हिंदू समा...
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