नई दिल्ली, अगस्त 15 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सौ साल पूरे होने का विशेष उल्लेख किया, जिससे आरएसएस के शताब्दी वर्ष के जश्न को नई ऊंचाई मिली और इसके राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट हो गए। इस पर विपक्ष की नाराजगी स्वाभाविक थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने काडर और समर्थकों को साफ संदेश दिया कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी वह आरएसएस की राष्ट्र सेवा यात्रा के सच्चे संवाहक हैं। इससे आरएसएस और भाजपा के बीच दूरी के बढ़ने की अटकलों पर विराम लग गया है। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का अहम हिस्सा आरएसएस का यह विशेष उल्लेख था। स्वयंसेवक और संगठन में कार्य करने के बाद भाजपा के जरिए प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे मोदी द्वारा शताब्दी वर्ष में आरएसएस का जिक्र स्वाभाविक मा...