नई दिल्ली, जून 21 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकार लड़की को अनचाहा गर्भ जारी रखने को मजबूर नहीं किया जा सकता। साथ ही उसने 12 वर्षीय लड़की को चिकित्सा विशेषज्ञों की प्रतिकूल रिपोर्ट के बावजूद 28 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दे दी। अगर लड़की को उसकी इच्छा के विरुद्ध बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है, तो अदालत उसे 'अपने जीवन का मार्ग तय करने के अधिकार से वंचित करेगी। लड़की की जांच करने के बाद एक मेडिकल बोर्ड ने राय दी थी कि लड़की की उम्र और भ्रूण के विकास के चरण को देखते हुए गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया अत्यधिक जोखिम भरी होगी। हालांकि, न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति सचिन देशमुख की पीठ ने 17 जून के अपने आदेश में कहा कि गर्भपात की अनुमति देनी होगी। अदालत ने गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमत...