सहारनपुर, सितम्बर 19 -- क्षेत्र के गांव रणखंडी में नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का यज्ञ के साथ शुक्रवार को समापन किया गया। इस दौरान वेदपाठी ब्राह्मणों ने पंचाग पूजन के बाद लक्ष्मी नारायण महायज्ञ संपन्न कराते हुए कथावाचक स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि सनातनी संस्कृति, सभ्यता सबसे प्राचीन होने के साथ-साथ नूतन भी है क्योंकि यह परिवर्तन को स्वीकार आगे बढ़ती है। बारात घर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथावाचक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा मिलन का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला और कर्म स्वयं में कुछ विशेष संदेश लिए हैं। सात वर्ष के कन्हैया ने सात दिनों तक सात कोसीय गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊंगली पर उठाया और नाम पड़ा गिरिधर। बताया कि गोवर्धन धारण लीला करके श्रीकृष्ण...