मुंगेर, सितम्बर 12 -- मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। पादुका दर्शन संन्यास पीठ में गुरुवार को श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का चौथे दिन स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने भगवान नारायण के परमात्मा स्वरूप, उनकी व्यापकता और उनके तत्व का महत्व बताया। स्वामीजी ने कहा कि नारायण ही परमात्मा हैं, जो ब्रह्म का रूप धारण कर सृष्टि की रचना करते हैं। उन्होंने विष्णु के विभिन्न स्वरूपों जल विष्णु, शेष विष्णु, अंतरिक्ष विष्णु की विशेष व्याख्या करते हुए कहा कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड में विष्णु का वास है। विष्णु हमारे ह्रदय में विराजमान रहते हैं, इसलिए उन्हें ह्रदयवासी विष्णु कहा जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लक्ष्मी और नारायण दो अलग-अलग शक्तियां नहीं हैं, बल्कि वे महाविष्णु के अर्द्ध नारीश्वर स्वरूप हैं। लक्ष्मी सौम्यता, संपन्नता और सौंदर्य की प्रतीक हैं। उन्होंने ...