नई दिल्ली, मई 8 -- सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि यदि दो व्यस्क (एडल्ट) व्यक्ति आपसी सहमति से लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं, तो यह नहीं माना जा सकता कि वह संबंध शादी के झूठे वादे पर आधारित था। ऐसे में महिला द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोप स्वीकार नहीं किए जा सकते। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में यह अनुमान लगाया जाएगा कि दोनों व्यक्ति समझदारी से और पूरी तरह से अंजामों को समझते हुए इस प्रकार के रिश्ते में शामिल हुए हैं। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "हमारे विचार में, यदि दो सक्षम वयस्क कई वर्षों तक एक साथ रहते हैं और सहमति से संबंध बनाते हैं, तो यह माना जाएगा कि उन्होंने यह रिश्ता अपनी मर्जी से चु...