प्रयागराज, मार्च 18 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा अपराध की विवेचना करने के लिए गंभीर नहीं है। लगता है इस शाखा की विवेचना की मॉनिटरिंग का कोई सिस्टम नहीं है। आर्थिक अपराध शाखा वर्षों बाद अभियुक्त का जब दरवाजा खटखटाती है तो वह न्यायालय आता है। इस स्थिति को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि डीजीपी राज्य पुलिस के मुखिया हैं और मुख्य सचिव इसके प्रशासनिक मुखिया हैं। कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि आर्थिक अपराध शाखा में अपराध की विवेचना लंबे समय तक लटकी क्यों रहती है। विवेचना में देरी की जवाबदेही तय की जाती है कि नहीं। यदि हां तो अब तक कितने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने जौनपुर के जलालपुर...