काशीपुर, मार्च 6 -- जसपुर,संवाददाता। मुकद्दस रमजान, अल्लाह के बंदों के लिए एक तोहफा है। इसमें जितनी भी नेकी जुटाई जाएंगी। वह मोमिन के आखिरत के काम आयेगी। रमजान रहमत, मगफिरत और निजात का महीना कहलाता है। रमजान में हर रोजे की अहमियत है। रमजान में इफ्तार करने के साथ इफ्तार करवाने की भी अपनी फजीलत है। अगर कोई शख्स किसी को इफ्तार कराता है तो उसे भी उतनी ही नेकी मिलेगी, जितनी इफ्तार करने वाले को। रमजान में ऐसी तकरीरें नगर एवं देहात की मस्जिदों में उलेमा कर रहे हैं तथा रमजान की फजीलतें बता रहे हैं। -- नबी कराते थे गरीब बेसहारों को इफ्तार मदरसा बदरूलऊलूम के मुफ्ती शमीम अख्तर बताते हैं कि प्यारे नबी मो.साहब रमजान माह में घर एवं मस्जिद ए नबी के दरवाजे बाबे जिब्रिल के बाहर दस्तरखान बिछाकर गरीब, मुसाफिर एवं बेसहारा रोजेदारों की इफ्तार कराते थे। इसी प्...