दरभंगा, फरवरी 13 -- ग्रामीण दैनिक मजदूरों की आर्थिक दुश्वारियां बढ़ी हुई हैं। गांव से 40-50 किलोमीटर का सफर तय करने पर भी मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। इससे दैनिक मजदूरों में मायूसी छायी हुई है। बिना मजदूरी के वापस लौटने पर इन्हें घर का चूल्हा कैसे जलेगा, इसकी चिंता सताती है। मजदूर इस स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेवार ठहराते हैं। कहते हैं कि राशन कार्ड की सुविधा छोड़ कुछ नहीं मिलता है। रोजी-रोजगार की गारंटी देने वाला मनरेगा भी मजदूरों को काम देने में असफल है। गांव में काम नहीं है। इस वजह से रोज शहर की श्रमिक मंडी में आना मजबूरी है। श्रमिक मंडी में भी रोज काम मिलने की गारंटी नहीं है, पर आस है और अधिक मजदूरी का सहारा है। इस वजह से रोज किराया खर्च कर शहर आते हैं। दैनिक मजदूरों की इस बेबसी से शहर का दोनार, अललपट्टी, बेंता, चट्टी चौक, लोहिया चौ...