बेगुसराय, मार्च 16 -- खोदावंदपुर। निज प्रतिनिधि रोज़ा के दो अहम अरकान हैं। पहला नीयत व दूसरा रोज़ा टूटने वाली चीजों से परहेज। रोज़ा की हालत में झूठ बोलने और किसी की ग़ीबत (पीठ पीछे शिकवा) करने से रोज़े में कमज़ोरी आ जाती है। इसलिए रोज़ा की हालत में झूठ बोलने और ग़ीबत करने से बचना चाहिए। ये बातें जामा मस्जिद नुरूल्लाहपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद मोइनुद्दीन साहब ने रमजानुलमुबारक के मौके पर रविवार को कही। उन्होंने कहा कि रोज़ेदारों को अपनी जुबान, ऑख, कान सहित शरीर के समस्त अंगों की हिफाजत रोज़ा के दौरान करनी चाहिए। रोज़ा की अवधि में रोजेदार के द्वारा किसी भी प्रकार की गलत बात अपनी जुबान से निकालना या कान से सुनना भी गुनाह है। हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि जो शख्स रोज़ा की हालत में बुरी बात बोलना या बुरा काम करना न छोड़े, ...