सिद्धार्थ, मार्च 9 -- डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। मुकद्दस रमज़ान की शुरुआत से लेकर दस दिनों तक चलने वाला पहला अशरा रहमत व बरकत वाला होता है। अकीदतमंद दिन में रोजा रखकर अल्लाह की इबादत व कलाम पढ़कर वक्त बिताते हैं। शाम को इफ्तार करने के बाद तरावीह की नमाज पढ़कर अमन चैन की दुआ कर रहे हैं। इससे व्यक्ति को बहुत सवाब मिलता है। ये बातें क्षेत्र के बसडिलिया स्थित मस्जिद में तरावीह के दौरान शुक्रवार की रात हाफिज अरबाब फारुकी ने कहीं। उन्होंने कहा कि रमजान के मुबारक महीने की एक रात में क़यामत तक आने वाले तमाम इंसानों की रहनुमाई के लिए अल्लाह की किताब क़ुरआन आसमान से दुनिया पर उतारी। इससे फायदा हासिल करने की बुनियादी शर्त परहेजगारी है। अल्लाह का इरशाद है यह किताब ऐसी है कि इसमें कोई शक नहीं, हिदायत है परहेज़गारों के लिए मतलब अल्लाह से डरने वालों...