मुजफ्फरपुर, अप्रैल 18 -- मुजफ्फरपुर। जिलों में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में मजदूरों को रोजगार देने से लेकर पशु गणना, जनगणना तक के काम पंचायत रोजगार सेवकों के जिम्मे है, लेकिन मानदेय मजदूरों से भी कम है। रोजगार सेवकों का कहना है कि पांच सौ रुपए रोज तो एक मजदूर कमा लेता है, जबकि 12 हजार प्रतिमाह मानदेय पर हमलोग काम कर रहे हैं। चार सौ रुपए रोज की इस कमाई से महंगाई के दौर में दाल-रोटी पर भी आफत है। बिहार कॉमन इंट्रेंस एग्जामिनेशन से नियुक्त होकर आए हैं, लेकिन नाते-रिश्तेदारों को वेतन बताने में शर्म आती है। जिले में अधिकतर रोजगार सेवकों को जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के साथ काम करते हुए 18 साल हो चुके हैं, लेकिन उनको सेवा-शर्त के अनुसार न तो सालाना इंक्रीमेंट दिया गया और न राज्य सरकार का स्थायी कर्मचारी का दर्जा मिला। लगातार आवाज उठान...