देवरिया, अगस्त 6 -- देवरिया, निज संवाददाता। रैबीज के तीसरे स्टेज के मरीजों को इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन बाजार से खरीदना पड़ता है। तीन बार इंजेक्शन लगवाने को साढ़े सात हजार रुपया खर्च करना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज में रैबीज के गंभीर मरीजों के लिए इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। मरीज को गोरखपुर एम्स रेफर किया जाता है या बाजार से खरीदने को कहा जाता है। महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज के ओपीडी के प्रथम तल पर एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगता है। रोज नए, पुराने मिलाकर सवा से डेढ़ सौ मरीज आते हैं, इसमें 50 से 60 नए मरीज होते हैं। सबसे अधिक घरेलू और आवारा कुत्तों के काटने के मरीज पहुंचते हैं। जानवरों के काटने को तीन टाइप में विभक्त किया गया है। टाइप वन में जानवर व्यक्ति को चाटता है तो वह भी सेहत के लिए नुकसानदायक है। जबकि टाइप 2 के केस में चमड़े क...