नई दिल्ली, मार्च 10 -- सुप्रीम कोर्ट ने 40 साल पुराने रेप के एक मामले में फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोष सिद्ध करने के लिए प्राइवेट पार्ट पर चोट के निशानों का होना ही जरूरी नहीं हैं। इसके लिए अन्य सबूतों को भी आधार बनाया जा सकता है। एक ट्यूशन टीचर पर अपनी ही छात्रा के साथ रेप का आरोप था। टीचर का कहना था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स पर कोई भी निशान नहीं था इसलिए रेप को साबित नहीं किया जा सकता। उसका कहना था कि पीड़िता की मां ने उसपर झूठा आरोप लगाया है। दोनों ही तर्कों को खारिज करते हुए जस्टिस संदीप मेहता औऱ प्रसन्ना बी की बेंच ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट्स में चोट के निशान नहीं पाए गए थे। हालांकि इसकी वजह से अन्य सबूतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जस्टिस वराले ने कहा, जरूरी नहीं है कि रेप के हर मामले मे...