प्रयागराज, फरवरी 12 -- यूपी में 17 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता का गर्भपात कराने की अनुमति के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून यौन शोषण की पीड़िता को गर्भपात कराने का अधिकार देता है। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि चिकित्सीय गर्भपात अधिनियम की धारा 3 (2) यौन शोषण की पीड़िता को चिकित्सीय गर्भपात कराने का अधिकार देती है तथा दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति के बच्चे की मां बनने के लिए पीड़िता को बाध्य करने से उसकी मुश्किलें बढ़ेंगी। अदालत ने कहा, 'यौन उत्पीड़न के मामले में एक महिला को गर्भपात कराने से मना करना और उसे मातृत्व की जिम्मेदारी से बांधना, उसे सम्मान के साथ जीवन जीने के उसके मानवाधिकार से मना करने के समान है।'' इस मा...